Friday, November 16, 2018

Happy New Year Poems In Hindi 2019 | Nav Varsh Ki Kavita

Happy New Year Poems : यहां नया साल की शुभकामनाय शाम Happy New Year Poems जाओ। हमने यहां हिंदी भाषा में शीर्ष नए साल के नए संदेश पोस्ट किए हैं। नया साल मुबारक हो, प्रियजनों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार। यहां हमारी टीम आपको एक नया साल मुबारक 2019 की शुभकामनाएं देता है और क्या आपको इस नए आने वाले वर्ष में सभी खुशी और सफलता मिल सकती है। Happy New Year Poems 2019, nav varsh ki kavita hindi, nav varsh poem in hindi.

Happy New Year Poems In Hindi 2019 | Nav Varsh Poem In Hindi

Happy New Year Poems


इस साल हमने बहुत सोचा विचारा
यहाँ तक कि अपना सर तक दीवार पे दे मारा
बहुतों से पूछा बहुतों ने बताया
फिर भी यह रहस्य समझ में नहीं आया
कि कल और आज में अंतर क्या है
आख़िर इस नए साल में क्या नया है
वही रोज़ की मारामारी
जीवन जीने की लाचारी
बढ़ती हुई महँगाई
सरकार की सफ़ाई
राशन की लाइन
ट्रैफ़िक का फाइन
गृहस्थी की किचकिच
आफ़िस की खिचखिच
सड़कों के गढ्ढे
नेताओं के फड्डे
लेफ्ट की चाल
बेटी की ससुराल
मुर्गी या अंडा
अमरीका का फंडा
खून का स्वाद
धर्म का उन्माद
एक सा अख़बार
फिर मर गए चार
राष्ट्रगान का अपमान
मेरा भारत महान
आज भी है वही जूता लात
न हम बदले हैं न हालात
सिर्फ़ सफ़ेद हो गए चार बाल
क्या इस लिए मनाएँ नया साल
अभी हमारा मन
इस चक्कर से नहीं था निकल पाया
तभी हमारा बेटा हमारे पास आया
बोला पापा क्या आप
इस साल भी रोज़ आफ़िस से लेट आओगे
हमारे साथ बिल्कुल टाइम नहीं बिताओगे
और आ के सारा टाइम सिर्फ़ टीवी निहारोगे
आफ़िस का सारा गुस्सा भी घर पर उतारोगे
सच कहूँ
जो साथ ले के चलते हैं दुनिया के ग़म
उनकी उम्र हो जाती है दस साल कम
क्या फ़र्क पड़ता है कि क्या होगा कल
खुश रहो आज जियो हर पल
जानते हैं मैंने ये पिटारा क्यों खोला है
क्योंकि चार दिन हो गए
आपने मुझे अभी तक हैप्पी न्यू इयर नहीं बोला है
तब हमें ये समझ में आया
कि कुछ बदलने के लिए हर पल मनाना बहुत ज़रूरी है
और हर खुशी बिना अपनों के साथ के अधूरी है
सो इस लिए आप को विश करता हूँ डियर
नव वर्ष की शुभकामनाएँ हैप्पी न्यू इयर।

Bhool Jao Beete Howe Kal Ko
Dil Mein Basalo Aaane Wale Kaal Ko
Muskuraoo Chahe Jo Bi Ho Paal
Khushiyan Leykar Ayega Ane Wala Kal
Happy New Year 2018

नए वर्ष में नई पहल हो।
कठिन ज़िंदगी और सरल हो।।
अनसुलझी जो रही पहेली।
अब शायद उसका भी हल हो।।
जो चलता है वक्त देखकर।
आगे जाकर वही सफल हो।।
नए वर्ष का उगता सूरज।
सबके लिए सुनहरा पल हो।।
समय हमारा साथ सदा दे।
कुछ ऐसी आगे हलचल हो।।
सुख के चौक पुरें हर द्वारे।
सुखमय आँगन का हर पल हो।।
नए वर्ष की शुभकामनाएँ |


Fool khilenge gulshan mein
Tab khubsurati nazar aayegi
Beete saal ki khatti meethi
Yaade hi bas sang rah jayengi
Aao jashan manate hai
Naye saal ka saath milkar,,
Naye saal ki pahli subah hi
Khushiyaan jo anginat layegi..♥♥
Wishing You Happy New Year 2019

नया साल क्या लाएगा.. नया साल भी सताएगा
ख्वाब दिखायेगा, कदम बहकायेगा
ठोकरे देकर संभालना सिखाएगा
याद दिलाएगा, हमे रुलाएगा
वास्ते देकर फिर चुप कराएगा
आरज़ू जगायेगा, नींदें उड़ाएगा
दिलासे देकर फिर सुलाएगा
यादें महकाएगा, गीत लिखवाएगा
आंसू छलकाकर अकेला छोड़ जायेगा
उम्मीदे लाएगा, हसरतें जगायेगा
जीना सिखाएगा, यादें दे जायेगा
नया साल क्या लाएगा… नया साल भी गुजर जायेगा



स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा,
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा,
देकर नवल प्रभात विश्व को,
हरो त्रस्त जगत का अंधियारा
हर मन को दो तुम नई आशा
बोलें लोग प्रेम की भाषा,
समझें जीवन की सच्चाई,
पाटें सब कटुता की खाई,
जन-जन में सद्भाव जगे,
औ घर-घर में फैले उजियारा !

जश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है
गै़र के घर की रौनक है वो
अब वो मेरा क्या लगता है
दुनिया पीछे दिलबर आगे
मन दुविधा मे सोच रहा है
तख्ती पे ‘क’ ‘ख’ लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है
नाती-पोतों ने जिद की तो
अम्मा का संदूक खुला है
याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है
दहशत के लम्हात समेटे
आठ गया अब नौ आता है



जेठ की धूप में तपी हुई
आषाढ़ की फुहारों में भीगकर
कार्तिक और अगहन के फूलों को पार करती हुई
यह घूमती हुई पृथ्‍वी
आज सामने आ गयी है
नये साल की देहरी के
तीन सौ पैंसठ जंगलों
तीन सौ पैंसठ नदियों
तीन सौ पैंसठ दुर्गम घाटियों को पार करने के बाद
आज यह घूमती हुई पृथ्‍वी
यह पृथ्‍वी
टहनी से टपका एक ताजा पका फल
लुढ़ककर आ गया है साबुत
अभी-अभी लिपे हुए आंगन में
प्रथम दिवस की चौखट के सामने
तीन सौ पैंसठ पत्‍थरों से बचकर
न जाने कितने लोगों का भय रेंग रहा है इस पर
न जाने कितने नगरों-गावों का रक्‍त
बह रहा है अभी भी
न जाने कितनी चीखों से
दहल गयी है यह पृथ्‍वी
ऐसे मे कितना सुखद है यह देखना
कि तीन सौ पैंसठ घावों से भरी यह पृथ्‍वी
आज जब सामने आयी है
नये साल के प्रथम दिवस की चौखट के
इसके माथे पर चमक रहा है नया सूर्य
इसकी नदियों का जल
हमारे जनों के हाथों में
अर्ध्‍य के लिए उठा है सूर्य की ओर
और ठीक वहीं
जहां पिछले अंधेरों को पार करने के बाद
ठिठकी खड़ी है यह पृथ्‍वी
दिन की टहनियों पर
फूले हैं गुड़हल के फूल.



गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह
आ जाओ ज़िंदगी में नए साल की तरह
कब तक तने रहोगे यूँ ही पेड़ की तरह
झुक कर गले मिलो कभी तो डाल की तरह
आँसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर
लग जाओ मेरी आँख से रूमाल की तरह
ग़म ने निभाया जैसे आप भी निभाइए
मत साथ छोड़ जाओ अच्छे हाल की तरह
बैठो भी अब ज़हन में सीधी बात की तरह
उठते हो बार-बार क्यों सवाल की तरह
अचरज करूँ ‘किरण’ मैं जिसको देख उम्र-भर
हो जाओ ज़िंदगी में उस कमाल की तरह

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